नवाचारों की केटेगरी में देश में तीन जिलों में हनुमानगढ़ को मिला सम्मान

हनुमानगढ़ जिले में किसानों को अब फसल बीमा क्लेम के लिए चक्कर नहीं काटने पड़ रहे हैं। इसका श्रेय जाता है कलेक्टर श्री काना राम को, जिनके नेतृत्व में कृषि विभाग ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल कटाई प्रयोगों को पारदर्शी और तकनीक आधारित बनाया। इन प्रयासों को अब पूरे प्रदेश में अपनाया जा रहा है। कलेक्टर श्री काना राम को इस नवाचार के लिए शुक्रवार को केरल के तिरुवनंतपुरम में हुए पीएमएफबीवाई के 12वें राष्ट्रीय समीक्षा सम्मेलन में सम्मानित किया गया। गौरतलब रहे कि नवाचारों की इस केटेगरी में पूरे देश के तीन जिलों को शामिल किया गया था, जिनमें दो कर्नाटक के जिलों सहित हनुमानगढ़ का चयन किया गया था।
नवाचार से मिला लाभ: पहले आपत्तियों के चलते लटकता था क्लेम, अब खेत में वीडियो-फोटो, सीसीई एप से रिपोर्ट
बीते वर्षों में जब भी खेतों में फसल कटाई प्रयोग होते थे, बीमा कंपनी बड़ी संख्या में आपत्तियाँ लगाती थी। इससे किसानों को बीमा क्लेम मिलने में देरी होती थी या वे पूरी तरह वंचित रह जाते थे। खरीफ 2023 में भी कई पटवार मंडलों के क्लेम उच्च स्तर पर लंबित रहे। वहीं, 2022 और 2023 में एक लाख से ज्यादा बीमा पॉलिसियाँ रिजेक्ट की गईं।
इन समस्याओं को दूर करने के लिए रबी 2023-24 और खरीफ 2024 में जिले में कई बदलाव किए गए। फसल कटाई की सूचना बीमा कंपनी को पहले से लिखित रूप में देना अनिवार्य किया गया। हर प्रयोग को CCE एप से अपलोड किया गया। खेत में फसल कटाई, थ्रेसिंग और तौल के समय फोटो और वीडियो बनाना जरूरी किया गया। फसलों के चयन में तकनीक का सहारा लिया गया। बैंक और बीमा कंपनियों के साथ समन्वय के लिए जिला स्तरीय समिति की बैठकें नियमित करवाई गईं।
रिजल्ट दिखा – ना आपत्ति, ना पॉलिसी रिजेक्ट, पहले 1 लाख रिजेक्शन, अब सिर्फ 7 हजार
इन नवाचारों का असर ये हुआ कि रबी 2023-24 और खरीफ 2024 के दौरान बीमा कंपनी ने एक भी आपत्ति दर्ज नहीं की। रबी सीजन में किसानों को क्लेम समय पर मिल चुका है और खरीफ 2024 के क्लेम की गणना भी पूरी हो गई है, जल्द वितरण शुरू होगा।
जहां 2022 और 2023 में 1 लाख से ज्यादा पॉलिसियाँ रिजेक्ट हो गई थीं, वहीं 2024 में यह संख्या घटकर सिर्फ 7,000 रह गई। इसका मतलब है कि अधिकतर किसानों को अब उनका हक समय पर मिल रहा है।