
राजस्थान की सियासत में भूचाल लाने वाला थप्पड़ अब एक आंदोलन की पहचान बन चुका है. टोंक जिले से निर्दलीय नेता नरेश मीणा की जेल से रिहाई के बाद समरावता गांव में जो दृश्य दिखा, वो किसी इमोशनल फिल्म से कम नहीं था. हर आंख नम थी, हर दिल जोश से भरा हुआ. SDM को थप्पड़ मारने के मामले में जेल जाने वाले नरेश अब गांववालों की नज़रों में हीरो बन चुके हैं. “ये मेरा गांव नहीं, मेरा मंदिर है” कहकर उन्होंने अपने जज़्बात ज़ाहिर किए. आठ महीने की जेल, सैकड़ों समर्थकों की लड़ाई और अब रिहाई – ये कहानी सिर्फ एक नेता की नहीं, जनआंदोलन की बन गई है. क्या ये वापसी नरेश को नई राजनीतिक ऊंचाई देगी ? या कानून का अगला कदम उनकी राह रोकेगा ? फिलहाल, नरेश मीणा राजनीति में एक नए तेवर और तेज़ रफ्तार के साथ लौटे हैं और ये थप्पड़ अब इतिहास बन चुका है.