जयपुर ग्रामीण के रायसर में 26 साल के विक्रम की मौत ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं. बकरियां चराने गए युवक पर चालान ठोका गया, कपड़े उतरवाकर बेरहमी से पीटा गया और कुछ ही घंटों बाद वो पेड़ से लटका मिला. आखिरी वक्त में पुलिस को कॉल करके मदद मांगी, लेकिन मदद नहीं मिली. गुस्साए ग्रामीणों ने वन विभाग ऑफिस में तोड़फोड़ की, थाने का घेराव किया और पुलिस से भिड़ गए. आखिर 18 घंटे बाद समझौता हुआ -18 लाख रुपये मुआवजा, नौकरी का वादा और तीन वनकर्मियों पर केस. लेकिन क्या यही न्याय है ? क्या एक गरीब की जान की कीमत सिर्फ पैसों और कागज़ी कार्रवाई से पूरी हो सकती है ? विक्रम की मौत ने ये कड़वा सच उजागर कर दिया कि गरीब की आवाज़ आज भी आसानी से दबा दी जाती है. प्रशासन की संवेदनहीनता और सिस्टम की लापरवाही ने एक और जिंदगी छीन ली. सवाल अब भी वही है – आखिर कब तक ?
