
अजमेर का लाल पुलकित, जिसने 2018 में एयरफोर्स जॉइन की और देश की सेवा की, आज तिरंगे में लिपटा अपने गाँव लौटा. 26 साल की उम्र में ज़िंदगी खत्म कर जाना हर किसी को अंदर तक हिला देता है. छुट्टी पर आया, बहनों संग बर्थडे मनाया, माँ-बाप संग हंसी बाँटी, और कुछ ही दिन बाद खबर आई कि उसने खुद को गोली मार ली. गाँव की गलियों में जब उसकी अंतिम यात्रा निकली तो हर आंख नम हो गई. माँ-बाप टूट गए, बहनें बिखर गईं, लेकिन पिता के लबों पर बस एक ही बात थी – “मुझे अपने बेटे पर गर्व है.” सवाल ये है कि क्यों हमारे जवान, जो दुश्मनों से लड़ते हैं, उन्हें अपनी ही जंग अकेले लड़नी पड़ती है ? क्यों सिस्टम इतना कमजोर है कि पुलकित जैसे होनहार बेटे खामोशी में चले जाते हैं ? देश सलाम करता है, लेकिन गर्व और ग़म दोनों साथ खड़े हैं. पुलकित गया, लेकिन हमें एक बड़ा सवाल देकर चला गया – “क्यों, आखिर क्यों ?”