राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के जन्मदिन पर फर्स्ट इंडिया न्यूज़ के रेजीडेंट एडिटर लक्ष्मण राघव की विशेष रिपोर्ट, भाग्यशाली “भजन लाल” से आम आदमी के सीएम की छवि तक का सफर पर लक्ष्मण राघव का विश्लेषण, कैसे भजनलाल शर्मा अपनों की चुनौतियों से पार पाकर हैं बरकरार, साथ ही पेपर लीक से निजात से लेकर सोलर में राजस्थान को सिरमौर बनाने तक की मेहनत, हांलाकि प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर की चुनौती अब भी बरकरार, डिसिजन डिलेमा की चुनौती से पार पाकर, कर सकते हैं भजनलाल कमाल, हांलाकि आम आदमी के सीएम की छवि सिर्फ मीडिया तक नहीं रहकर धरातल तक भी बने, देखिए पूरी रिपोर्ट –
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राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर भजन लाल शर्मा की ताजपोशी कुछ कुछ कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसी थी । तब कांग्रेस के दिग्गज कतई अशोक गहलोत को पचा नहीं पा रहे थे । राजस्थान के कद्दावर नेता भैरों सिंह सिंह शेखावत ने तो एक फ्लाइट में गहलोत से मुलाकात के बाद अपने निजी सहायक को ये तक कह दिया था कि ये कैसे मैंनेज करेगा इसे तो ब्यूरोक्रेसी की बिलकुल समझ नहीं है और आज …? कोई माने ना माने आज अशोक गहलोत राजस्थान की पॉलिटिक्स की यूनिवर्सिटी है ।
CM भजन लाल शर्मा के लिए हालांकि अभी ये कहना अतिशयोक्तिपूर्ण होगा । हालांकि भजन लाल उस वक़त के अशोक गहलोत से एक मायने में मजबूत है वो है भजन लाल शर्मा का ब्राह्मण जाति से होना । अशोक गहलोत का जातिगत आधार ना के बराबर था जो ख़ुद अशोक गहलोत कहते रहे है।
खैर ,भजन लाल शर्मा जब CM बने तब मैंने लिखा था कि आम कार्यकर्ता को CM बनाकर भाजपा ने एक बड़ा संदेश छोड़ा है । ये महज़ सत्ता परिवर्तन नहीं व्यवस्था परिर्वतन है जो आसान राह कतई नहीं है । राजस्थान ने पिछले दो दशकों में सीएम के दो ही चेहरे देखे थे , ब्यूरोक्रेट अपनी व्यस्था बनाए रखने में माहिर तो है ही ऐसे में आम आदमी के सीएम को पहली चुनौती उन्ही को संभालना था ।दूसरी चुनौती थी राजस्थान में भाजपा के क्षेत्रीय क्षत्रपो को साधना ।
तीसरी और सबसे बड़ी चुनौती कुछ बड़े मीडिया मुग़ल जो गाहे बगाहे अपनी भाजपा में कहीं और निष्ठा के चलते मुख्यमंत्री के बदलाव की तारीख़ देते रहते थे । बाद में मंत्रिमंडल बदलाव की तारीख़ देते रहे ।
कुछ और अफ़वाहों की भी समय समय पर बल देते रहे । राजस्थान के कुछ नेता जो दिल्ली में मठाधीश है उनके अपने निहितार्थ भी कम ना थे ।
खैर मेहनती भजन लाल शर्मा को आलाकमान का तो पूरा साथ मिला ही घोर आस्तिक भजन लाल शर्मा पर थोड़ी मेहरबानी प्रकृति की भी रही कि सूखे प्रदेश पर इंद्र मेहरबान नजर आए जिससे सिंचाई पानी मुद्दा नहीं बना।
रूठे हुए कुछ नौकरशाहों, अलग थलग पड़े ओल्ड गार्ड्स ने भी कम परेशानी पैदा नहीं की । ब्यूरोक्रेसी में दो सालों में सत्ता के दो केंद्र बनने की कीमत भी मुख्यमंत्री जी को चुकानी पड़ी बावजूद उसके भजन लाल जुटे रहे । मेहनत के साथ कोई हादसा हो या कुछ और ,मुख्यमंत्री ग्राउंड पर सबसे पहले पहुँचने वाले नेताओं में थे । राजस्थान में निवेश के लिए पहले साल से ही जतन,पेयजल योजनाओं पर फोकस,ग़रीबी मुक्त गाँव, ऊर्जा के क्षेत्र में CM भजन लाल की टीम ने बेहतर काम करने का प्रयास किया है ।
हालांकि शहरों की स्थानीय समस्याओं से निपटने में सरकार के नौकरशाह पिछड़े बने रहे है ।
दिल्ली के बढ़ते दौरों पर विपक्ष ने खूब निशाना साधा लेकिन CM विचलित हुए बिना राजनीति की नजाकत समझकर लगे रहे । इसका परिणाम ये रहा पीएम मोदी और शाह का वरदहस्त ना केवल बना रहा अपितु मोदी की शानदार सभाओं ने तमाम चुनौतियों के बावजूद भरोसा डिगने नहीं दिया । पहली बार विधायक बने सीएम को मंत्रिमंडल में जो साथी मिले उनमें सत्तर प्रतिशत के बड़बोलेपन और अनुभवहीनता ने CM की परेशानी को बढ़ाए रखा ।
हालांकि सीएम हिम्मत नहीं हारे ,CS और CMO में ब्यूरोक्रेसी में बदलाव उसकी बानगी रहा ।दो वर्ष के जश्न से ठीक पहले स्टिंग ऑपरेशन में भाजपा विधायक के करप्शन ने पलीता लगाया लेकिन भजन लाल शर्मा ने साहस दिखाया ।अलसुबह शानदार भाषण और करप्शन पर चोट कर किसी अनुभवी सीएम की तरह इस चुनौती का सामना करते नजर आए । आने वाले तीन माह सीएम भजन लाल शर्मा का सच्चा लिटमस टेस्ट होंगे राजस्थान में स्वास्थ्य योजनाओं में सुधार की बड़ी दरकार पिछली सरकार की तुलना में आज महसूस की जा रही है । सबसे पहला काम शायद ब्यूरोक्रेसी में बदलाव के बाद यही होना चाहिए कि भजन लाल सरकार डिसीजन डेलिमा से पार पा ले । जिस भाजपा में CM से मुलाक़ात बड़ी बात हुआ करती थी उसके कार्यकर्ताओं से ही मुख्यमंत्री फ़ोन पर बात कर रहे है । मुख्यमंत्री का क़ाफ़िला महंगे पाँच सितारा होटल्स में नहीं चाय की थड़ियो पर रुक रहा है । हेल्प लाइन पर सीएम की आवाज़ सुनने को मिल रही है ये सब सीएम हो सकता है आम आदमी के सीएम की छवि गढ़ने के लिए कर रहे हो, तो भी बुरा क्या है ।
सियासत में ये परसेप्शन बनाना कोई नई बात नहीं । हाँ ये जरूरी है कि ये परसेप्शन सिर्फ़ मीडिया के लिए ना रहे धरातल पर भी दिखे । राजस्थान में चुनौतियाँ कम नहीं है । लॉ एंड ऑर्डर आज भी एक चुनौती बना हुआ है। पेयजल योजनाओं के मीडिया ट्राइल को जमीनी रूप देने के लिए मुख्यमंत्री भजन लाल को भागीरथी प्रयास करने होंगे । तो साथ ही बेहतर स्वास्थ्य योजनाओं के साथ गरीब को बेहतर इलाज जरूरी ।
आज मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा का जन्मदिन है और उनकी सरकार के दो साल भी पूरे हुए है । उन्हें जन्मदिन की बधाई सरकार से आस की वे आम आदमी के सीएम का विश्वास जनता में बना सके –
