
चार लाइन न्यूज़ डेस्क – 32 वर्ष पुराने अजमेर सेक्स स्कैंडल मामले में 6 जनों को अदालत ने दोषी माना है. इस मामले में नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ़ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहेल गनी और सैयद जमीर हुसैन को दोषी ठहराया गया है. मामले में कई पीड़िताएं दादी-नानी तक बन गई हैं. राजस्थान के अजमेर स्थित विशेष न्यायालय में इस मामले की सुनवाई चल रही थी. इकबाल भाटी को एम्बुलेंस के जरिए दिल्ली से अजमेर लाया गया, वहीं 1 दोषी को तबीयत खराब होने के कारण पेश नहीं किया जा सका.
1992 के इस प्रकरण को भारत के काले अध्यायों में से एक में गिना जाता है. 1992 के अजमेर सेक्स स्कैंडल में स्पेशल पॉक्सो कोर्ट के जज रंजन सिंह ने 6 दोषियों को सज़ा सुनाई है. इन सभी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई है, साथ ही 5-5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है.
इस मामले में 23 जून, 2001 को ही चार्जशीट दायर की गई थी. पॉक्सो कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई चल रही थी. बता दें कि ये मामला 1992 का है जब 100 से भी अधिक लड़कियों के साथ न सिर्फ सामूहिक बलात्कार की घटनाएँ हुई थीं, बल्कि उनकी नग्न तस्वीरें भी फैला दी गई थीं. इस मामले में कुछ लड़कियों ने आत्महत्या भी की थी. बताया जाता है कि मामले के खुलासे के बाद अजमेर की लड़कियों की शादी होनी बंद हो गई थी. इस मामले में दरगाह के खादिमों और कॉन्ग्रेस नेताओं का हाथ सामने आया था. मामले में एक आरोपी अब तक फरार है, जिसका कोई अता-पता नहीं चल सका है.
बता दें कि साल 1992 में मामले की शुरूआत में एक कारोबारी के बेटे तक के साथ कुकर्म किया गया था. फिर तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेल कर उसे उसकी गर्लफ्रेंड के साथ पॉल्ट्री फार्म पर बुलाया और उसका गैंगरेप किया था. उस लड़की को न्यूड तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेल कर सहेलियों को लाने का दबाव बनाया गया. एक लैब में इन्होंने तस्वीरें उतारने के लिए दी थीं, उसके कुछ कर्मचारियों ने तस्वीरें सर्कुलेट कर दी, इसकी जेरोक्स कॉपी कइयों को बेचीं गई और फिर उन लड़कियों को ब्लैकमेल कर उनका यौन शोषण किया गया.