बीकानेर जिले के देशनोक में हुए ओवरब्रिज हादसे में जान गंवाने वाले सैन समाज के 6 लोगों का परिवार 36 कौम के लोगों के साथ 3 दिनों से जिला कलेक्ट्रेट पर धरने पर बैठा है. ओवरब्रिज की बनावट में खामी की बात सरकारी जांच में भी साफ हो गई है. सीधे शब्दों में कहें तो इसी खामी की वजह से हादसा हुआ और मासूम बच्चों से पिता का साया और महिलाओं का सुहाग छीन गया. जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद भी प्रशासन व सरकार की ओर से मृतकों के परिवार की कोई सुध नहीं ली गई और ना ही जान लेने वाली खामी होने के बावजूद इस ओवरब्रिज को बंद किया गया है.
इधर, परिवार में किसी की मौत हो जाने के बाद एक साल तक घर से नहीं निकलने की प्रथा के विपरित मृतकों की पत्नी और बच्चे सड़क पर न्याय की मांग कर रहे हैं. रोते-बिलकते इन मासूम शायद इस सच से अनजान है कि सरकारी तंत्र की खामी के चलते उनके पिता इस दुनिया से चले गए लेकिन इस मौत को हादसा ही कहा जा रहा है. मृतकों में से एक का बेटा थोड़ा मानसिक रूप से ठीक नहीं है जिसके पापा से बात करने की जिद्द पर मोबाइल पकड़ाकर बहलाया जा रहा है.

इन परिवारों की हालत ये है कि रोजी-रोटी के लाले पड़ने वाले हैं. क्योंकि कमाकर घर चलाने वाले अब इस दुनिया में नहीं रहे. मृतकों की पत्नियां बच्चों के साथ धरने पर बैठी न्याय मांग रही है कि सरकारी तंत्र ने ओवरब्रिज में खामी तो बता दी लेकिन इसका जिम्मेदार कौन है, यह भी सरकार तय करे. साथ ही इन परिवारों के भविष्य के लिए भी सकारात्मक निर्णय लेकर न्याय दिलाने के साथ आर्थिक मदद करे. हादसा 19 मार्च को हुआ और अब तक करीब महीना बीतने को है लेकिन ना तो स्थानीय जनप्रतिनिधि इन सैन परिवार को न्याय दिलाने की बात कर रहे हैं और ना ही प्रशासन,
पूर्व राज्य मंत्री महेन्द्र गहलोत के आह्वान पर 15 अप्रैल से अनिश्चितकालीन धरना और महापड़ाव भी दिया जा रहा है. लोग जुट रहे हैं. पूर्व मंत्री गोविन्दराम मेघवाल, भंवर सिंह भाटी, पीसीसी सचिव रामनिवास कूकणा सहित 36 कौम के स्थानीय लोग हादसे के इन पीड़ित परिवारों के साथ न्याय की मांग को लेकर खड़े हैं. जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि के जरिए राजस्थान सरकार को मांग भेजी गई है लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया है. इधर, ज्यों-ज्यों धरने की सूचना मिल रही है लोगों का जुड़ना जारी है.