
बीकानेर में जूनागढ़ से शाही गणगौर की सवारी बड़े ही धूमधाम और शाही लवाजमे के साथ निकाली गई. राज परिवार की सैकड़ों साल पुरानी परंपरा को निभाते हुए जूनागढ़ से गवर राजशाही वैभव के साथ बाहर निकली और चौतीना कुआं पर पानी पीने की रस्म अदा की. इस दौरान शाही गणगौर सवारी में सजे-धजे ऊंट-घोड़ों के अलावा बैंड के साथ सैंकड़ों लोग शामिल हुए. इस शाही गणगौर की सवारी देखने के लिए शहर के लोगों का हुजूम उमड़ा. जूनागढ़ से शाही गणगौर की सवारी निकली तो बैंड बाजे की धुन शुरू हो गई. यहां से पूरी रीति नीति के साथ गवर को चौतीना कुआं तक ले जाया गया.
इस दौरान राजपरिवार से जुड़ी महिलाओं ने गंवर को अपने सिर पर रखा और चौतीना कुआं तक पहुंचा. गवर के साथ बड़ी संख्या में लोग चौतीना कुआ पहंचे. इस दौरान जिला प्रशासन की ओर से पुख्ता व्यवस्था की गई. पुलिस और यातायात पुलिस ने गवर को रास्ता दिया. इसके अलावा भी बीकानेर शहर के कई क्षेत्रों में गणगौर मेले आयोजित हुए. बता दें होली के अगले दिन से ही बीकानेर में गणगौर की रंगत शुरू हो जाती है. कुंवारी लड़कियां अपने घर या आसपास के घरों की छत पर गणगौर मांडती है. समय के साथ इस कला को भी विकसित होने का अवसर मिला है. सोलह दिन तक गणगौर की पूजा करने के बाद गणगौर मेले के दिन अपनी अपनी गंवर अपने ईसर के साथ ससुराल जाती है. इसी परपंरा के तहत लोग घर की एक कन्या की तरह गवर की सेवा करते हैं.