
बीकानेर दौरे पर आए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत का सर्किट हाउस में आज राजस्थानी मोट्यार परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने स्वागत किया. परिषद के सदस्य एडवोकेट हिमांशु टाक एवं कमल किशोर मारू ने विशेष समय लेकर मायड़ भाषा राजस्थानी को प्रदेश की राजभाषा बनाने हेतु मंत्रणा की एवं ज्ञापन सौंपा. एड. हिमांशु टाक ने मंत्रीजी को बताया कि, “जिस प्रकार से भारत सरकार ने पहल करते हुए लद्दाख राज भाषा अधिनियम 2025 के द्वारा भोटी व पूर्गी को हाल ही में लद्दाख की राजभाषा बनाई है, उसी प्रकार से राजस्थान में भी राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाते हुए जल्द ही राजस्थान राजभाषा एक्ट, 1956 में अनुच्छेद, 345 के तहत संसोधन करके राजस्थानी को राजभाषा की मान्यता प्रदान करें. आजादी के बाद से आज तक ये वीरों ओर वीरांगनाओं की धरती अपनी भाषा की मान्यता के लिए इंतजार में खड़ी है. इससे राजस्थान के युवाओं को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर प्राप्त होंगे”
कमल किशोर मारू ने कहा कि, “राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता का आन्दोलन आजादी से पूर्व से आज तक गांधीवादी तरीके से चलने वाला पहला आन्दोलन है, सरकार को इस और ध्यान देना चाहिए, भाषा वैज्ञानिकों के अनुसार राजस्थानी भाषा, संसार की किसी भी भाषा से कमतर नहीं है एवं भाषा के सभी मानकों पर राजस्थानी भाषा खरी उतरती है”. इस दौरान विधायक डॉ. विश्वनाथ मेघवाल ने भी मंत्री गहलोत से राजस्थानी भाषा की मान्यता व राजभाषा की मांग को जायज बताया.
