
Workshop concludes at MGSU, Bikaner
चार लाइन न्यूज़ डेस्क – बीकानेर में महाराजा गंगा सिंह सतत् विकास शोधपीठ, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालयए बीकानेर एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में विकसित भारत.विकसित राजस्थान .2047 की परिकल्पना पर राजस्थान के पश्चिमी रेगिस्तानी क्षेत्र के विकास के लिए आयोजित कार्यशाला के दूसरे दिन चार सत्रों का आयोजन किया गया. इस दौरान यूनीसेफ के शफकत हुसैन, आईआईटी जोधपुर के डाॅ. विवेक विजय, वित नियंत्रक अरविंद बिश्नोई विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे.
कार्यशाला में पहले सत्र में विख्यात अर्थशास्त्री व शिक्षाविद् डाॅ पी एस.वोहरा ने कहा कि राजस्थान को विकास की ओर ले जाने के लिए प्रति व्यक्ति आय और कृषि व्यवसायों में वृद्धि की आवश्यकता है. उन्होंने बीकानेर के लिए अनुसंधान एवं विकास निवेश और एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. डॉ वोहरा ने बेरोजगार युवाओं के लिए उद्यमशीलता कौशल विकास पर जोर देते हुए मातृभूमि के प्रति गुजराती और मारवाड़ी लोगों की बात कही.
एसकेआरयू के डायरेक्टर रिर्सच प्रो.पी.एस. शेखावत ने कृषि आधारित विभिन्न पहलुओ को बताते हुए कहा कि विकसित होने के लिए कृषि को प्राथमिकता देनी होगी. वहीं सत्र के पेनेलिस्ट डाॅ. विवेक काकड़ा ने कला क्षेत्र में आने वाले विकास की बात कही. सत्र में बीकानेर जिला उद्योग संघ के सचिव वीरेन्द्र किराडू ने बीकानेर के उद्योग विकास के लिए विभिन्न सुझाव प्रस्तुत किए. प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रो राजाराम चोयल ने की. कार्यक्रम का संयोजन डाॅ. चन्द्रशेखर श्रीमाली ने किया.
आयोजन सचिव डा. संतोष कंवर शेखावत ने बताया कि दूसरे सत्र में पर्यावरणविद् प्रो. अनिल कुमार छंगाणी ने विकास के साथ पर्यावरण के संरक्षण की बात कहीं. वहीं पर्यावरण विज्ञान के डां प्रभुदान चारण ने विकसित राजस्थान के लिए सुझाव दिए. डाॅ. संतोष शेखावत ने बताया कि तीसरे सत्र में राजकीय काॅलेज, गंगाशहर की प्राचार्य बबीता जैन, नाबार्ड के अस्टिेंट मैनेजर रमेश ताबीया, आईआईटी जोधपुर के डाॅ विवेक विजय ने प्रतिभागियों से संवाद रखते हुए विकसित राजस्थान की बात कही.
चौथे सत्र में प्रो. राजाराम चोयल, आईआईटी जयपुर के प्रो.आनन्द प्लाप्ली, श्री अनिल राठौड, सहायक निदेशक, पर्यटन ने अपने विचार रखे. कार्यशाला के समापन समाारोह में मुख्य अतिथि एमजीएसयू के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने कहा कि वर्तमान स्थिति, विकसित 2047 की आकांक्षाएं एवं उसकी क्रियान्विति पर विचार कर रिपोर्ट तैयार की जानी है. दो दिन की कार्यशाल की सम्पूर्ण रिर्पोट महाराजा गंगा सिंह सतत् विकास शोधपीठ के समन्वयक प्रो.राजाराम चोयल ने प्रस्तुत की.