
20 year old case of vicious Dhaniram who became fake judge closed
चार लाइन न्यूज़ डेस्क – हरियाणा के झज्जर में नकली जज बनकर 2000 अपराधियों को छोड़ने वाले शातिर चोर धनीराम मित्तल के खिलाफ चल रहा 20 साल पुराना चोरी का मुकदमा बंद कर दिया गया है. यह मामला चंडीगढ़ के सेक्टर-3 पुलिस थाने में साल 2004 में दर्ज करवाया गया था. बेहद शातिर चोर धनीराम मित्तल पर चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 150 से अधिक चोरी के मामले दर्ज थे. उसने करीब 1000 से अधिक कारें चुराई थी.
नकली जज बन दो हजार अपराधियों को छोड़ने के बाद धनीराम सनसनी बनकर चर्चा में आया था. बीते 18 अप्रैल को 86 साल की उम्र में धनीराम का हार्ट अटैक से निधन हो गया था. अब चडीगढ़ जिला अदालत में धनीराम के खिलाफ चल रहे चोरी व ठगी के एक और मामले में भी जल्द ही पुलिस मौत की रिपोर्ट पेश कर सकती है जिसके बाद यह मामला भी बंद किया जाएगा.
चंडीगढ़ के सेक्टर 3 पुलिस थाना में 2004 में दर्ज एक चोरी के मामले में पुलिस ने शातिर चोर धनीराम मित्तल को साल 2023 में गिरफ्तार किया था. तब धनीराम 85 साल का था. अदालत ने उम्र का लिहाज करते हुए धनीराम को थोड़े ही दिनों में जमानत दे दी थी. जिसके बाद इसके बाद धनीराम दिल्ली गया और उसके बाद कभी भी अदालत में पेश नहीं हुआ. धनीराम पर आरोप था कि उसने अशोक कुमार नाम के एक शख्स की कार पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की पार्किंग से चुराई थी. पुलिस ने मामले में 3 साल बाद 2007 में चोरी की एक कार बरामद की जिसमें धनीराम का नाम सामने आया था.
नकली जज बनकर 2 हजार अपराधी छोड़ने का यह था मामला
यूं तो अंतरराज्यीय शातिर चोर धनीराम मित्तल के खिलाफ कई राज्यों में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं लेकिन साल 1970 में धनीराम द्वारा किया गया कांड सनसनी बन गया. जिसे भी मामले की जानकारी लगी तो हैरान और हक्का-बक्का रह गया. दरअसल, शातिर चोर के नाम से मशहूर धनीराम मित्तल ने नकली जज बनकर न्यायपालिका तक में सेंधमारी कर डाली. वाक़्या हरियाणा के झज्जर जिला न्यायालय का है.
जिसमें शातिर धनीराम को झज्जर के अतिरिक्त न्यायाधीश के खिलाफ एक मामले में विभागीय जांच खुलने की भनक लगी तो उसने सारी जानकारी जुटाई और उक्त जज का पता खोज निकाला. धनीराम ने उक्त जज को उनके निवास पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर और मुहर लगी एक चिट्ठी भेजी. जिसमें हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की ओर से लिखा था कि जब तक विभागीय जांच पूरी नहीं होती तब तक आपको छुट्टी पर भेजा जाता है. इसके बाद अतिरिक्त न्यायाधीश ने अदालत जाना बंद कर दिया.
बस, पूरा का पूरा सिस्टम शातिर धनीराम की स्क्रिप्ट के अनुसार ही चलता गया और उसने इसी तरह फर्जी मोहर और हस्ताक्षर का इस्तेमाल कर पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से झज्जर जिला अदालत को भी सूचना के लिए एक पत्र भेजा. जिसमें अतिरिक्त न्यायाधीश के खिलाफ जांच पूरी होने तक एक नए जज के कार्यभार संभालने का लिखा था और इसके बाद धनीराम खुद जज बनकर झज्जर जिला न्यायालय पहुंच गया.
जज बनते ही धनीराम ने एक के बाद एक धड़ाधड़ फैसले सुनाने शुरू किए. जिसकी भी जमानत आती जज बना धनीराम मंजूर करता गया. इसी तरह 2 महीने न्यायालय में वह जमा रहा और इस दौरान उसने 2 हजार अधिक कैदियों को जमानत दे दी. फिर एक दिन नकली जज बनने की कारस्तानी की किसी को भनक लगी तो वह फरार हो गया. जिसके बाद मामले सामने आया तो कई दिनों तक सुर्खियों में रहा. जिसे भी पता चला तो हक्का-बक्का हो गया…बस यही मुंह से निकला…कि क्या ऐसा भी हो सकता है क्या.