बीकानेर संभाग के सूरतगढ़ कस्बे में धर्म, आस्था और भारतीय संस्कृति के संगम का प्रतीक गोपाष्टमी पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया. सुबह से ही मंदिरों और गौशालाओं में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. लोगों ने गौमाता की पूजा कर देश, समाज और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की. गौमाता की विशेष पूजा-अर्चना, महिलाओं ने श्रीगौशाला द्वारा नव निर्मित में बना परिक्रमा स्थल पर परिक्रमा पूजन किया. भक्तों ने गौमाता को स्नान कराकर, फूल-माला, हल्दी, रोली और गुड़-चना अर्पित कर दीपक जलाकर पूजन किया. महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में गौमाता की परिक्रमा की और मंगल गीत गाए.
शहरभर में गौसेवा कार्यक्रम, भंडारे और गौदान अनुष्ठान आयोजित किए गए. कई सामाजिक संस्थाओं और गौप्रेमियों ने मिलकर गायों के लिए हरा चारा, गुड़, दाना और जल की व्यवस्था की. बच्चों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया और “गौमाता की जय” के नारे लगाए. गोपाष्टमी का पर्व कार्तिक शुक्ल अष्टमी को मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार गौपालन का कार्य संभाला था. इस दिन गाय और उसके बछड़ों की पूजा कर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है. श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर संदेश दिया कि गौमाता केवल धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि पर्यावरण, कृषि और संस्कृति की आत्मा हैं. उन्होंने नगर प्रशासन से अनुरोध किया कि गोशालाओं की सुविधाओं में सुधार, और आवारा गायों के संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएँ. पूजा-अर्चना, भंडारे और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने इस पावन पर्व को भक्ति, सेवा और संस्कारों का उत्सव बना दिया.
