
Chief Minister honored his first Guruji on Teacher's Day
चार लाइन न्यूज़ डेस्क – शिक्षक दिवस के मौके जयपुर में आयोजित हुए राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने स्कूल के समय के शिक्षक का सम्मान किया. इस दौरान मुख्यमंत्री अपने शिक्षक शंकर लाल का पैर छुए और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया. इस दौरान CM ने कहा कि ये वही आदरणीय गुरुवर हैं जिन्होंने न केवल मुझे कलम थामना सिखाया, बल्कि मेरे जीवन की शैक्षिक यात्रा का श्रीगणेश करते हुए पहली बार विद्यालय में प्रवेश कराया. उनके कुशल मार्गदर्शन ने मेरे जीवन में ज्ञान के दीप को प्रज्वलित किया है, जिसकी अक्षय ज्योति आज भी जीवन-पथ को प्रकाशमान कर रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुदेव के प्रति अपनी अगाध कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द अपर्याप्त हैं. उनका ऋण चुकाना निःसंदेह असंभव है, परंतु उनके द्वारा प्रदर्शित मार्ग पर चलकर ‘आपणो अग्रणी राजस्थान’ के निर्माण हेतु अपना सर्वोत्तम योगदान देने के लिए मैं दृढ़ संकल्पित हूँ. मैं भरतपुर रहता था तो मेरे गुरुजी मिल जाते थे. कल मेरे मन में विचार आया कि मेरे गुरुजी कैसे हैं ? मैंने पूछा कि आने की स्थिति में हैं क्या? उन्होंने कहा कि हां. तो मैंने कहा कि उन्हें लेकर आइए.
मुख्यमंत्री ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि पहले जब प्रथम बार विद्यालय जाते थे तो घरवाले गुड़ बांटते थे. मेरे एडमिशन की दादाजी ने काफी तैयारी की थी. जब वे ले गए तो पट्टी (स्लेट) को सजाया. गुरु दक्षिणा लेकर विद्यालय गए. पहले एडमिशन का बड़ा महत्व था. शंकर लाल जी मास्टर साहब विद्यालय में अकेले शिक्षक थे. मेरा प्रथम एडमिशन उन्होंने ही किया. 5वीं तक उन्होंने मुझे पढ़ाया.
उन्होंने कहा कि गांव में खेती का काम होता था. घरवाले भी खेती पर पढ़ाई पर फोकस करते थे. लेकिन गुरुजी ऐसे घरों में जाते थे और घरवालों से बच्चे को स्कूल भेजने कहते. उन्हें कहते, “खेती का काम बाद में हो जायेगा लेकिन बच्चे को स्कूल जरुर भेजो. गुरु बिन. जीवन सूना है. मैं आज उन सभी गुरुजनों को प्रणाम करता हूं और उन्हें बधाई भी देता हूं कि वे ऐसा पावन कार्य कर रहे हैं.