बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के विद्यार्थियों ने सागर की छतरियों व देवीकुंड सागर का शैक्षणिक भ्रमण किया. सर्वप्रथम कुलगुरू आचार्य मनोज दीक्षित ने विद्यार्थी दल को हरी झंड़ी दिखाकर परिसर से रवाना किया. भ्रमण दल में विभाग के लगभग साठ विद्यार्थियों ने भाग लिया. अतिथि शिक्षकों में डॉ. गोपाल व्यास, जसप्रीत सिंह, डॉ. खुशाल पुरोहित, रिंकू जोशी, भगवान दास सुथार शामिल रहे.
इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष व भ्रमण निदेशक डॉ. मेघना शर्मा ने विद्यार्थियों को बताया कि सागर बीकानेर के राव बीकाजी के राजपरिवार के समाधि स्थल के रूप में ख्यात है, जहां सोलहवीं सदी के राव कल्याणमल से लेकर बीसवीं सदी के महाराजा करणी सिंह तक के शासकों की छतरियां शामिल हैं, जिनमें दुलमेरा लाल पत्थर और संगमरमर और आधुनिक काल में ग्रेनाइट का भी उपयोग हुआ है. सागर स्थित छतरियों के गुंबदों की छत पर हिन्दू देवी देवताओं के चित्र, फूलों, पक्षियों और मोर की बारीक नक्काशी है और इस प्रकार ये अपनेआप में राजपूत चित्रकला के प्रमुख आकर्षण हैं. यह हिंदू और इस्लामी वास्तुकला का सुंदर मिश्रण प्रस्तुत करता है, जो भारतीय संस्कृति की समावेशिता के गुण को भी परिलक्षित करता है.
डॉ. मुकेश हर्ष ने बताया कि देवीकुंड सागर राजपूत परंपरा और पितृ सम्मान की भावना का प्रतीक तो है ही साथ ही बीते युग की गाथाओं, परंपराओं और जनमानस की आस्था का अमर स्मारक भी है. डॉ. रीतेश व्यास ने बताया कि महाराजा अनूप सिंह की छतरी सोलह खंभों पर टिकी, कला और स्थापत्य का अद्भुत नमूना है तो वहीं महाराजा सूरत सिंह की छतरी सफेद संगमरमर से बनी, बारीक नक्काशीदार और बहुत आकर्षक है.
