
बीकानेर में स्मृति ईरानी का बयान राजनीति में गूंज बन गया, सचिन तेंदुलकर का उदाहरण देकर उन्होंने न सिर्फ अपनी भूमिका को मज़बूती से रखा, बल्कि पार्टी में नेतृत्व की रणनीति को भी स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि कप्तान तय करता है कौन कब खेलेगा, राजनीति में भी यही नियम लागू होता है. अमेठी की हार को उन्होंने रुकावट नहीं, बल्कि संगठन के साथ जुड़ाव का प्रतीक बताया. आपातकाल को कांग्रेस द्वारा थोपा गया कलंक कहा और पत्रकारों की आवाज़ दबाने का आरोप लगाया. मोदी सरकार की महिला योजनाओं का उल्लेख कर विकास पर ज़ोर दिया. स्मृति ने साफ कहा – वह सिर्फ चुनावी नेता नहीं, ज़मीनी कार्यकर्ता भी हैं. उनके बयान ने संगठन और विपक्ष दोनों को संदेश दिया. बीजेपी में उनकी भूमिका पर चल रही चर्चाओं को करारा जवाब मिला और यह साबित कर दिया कि सच्चे खिलाड़ी का मूल्य उसकी स्थिति से नहीं, उसकी प्रतिबद्धता से तय होता है.
