
बॉलीवुड और टीवी सीरियल की दुनियां में एक दुखद खबर सामने आई है. नामी एक्टर, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर धीरज कुमार ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. सोमवार को एक्यूट निमोनिया से पीड़ित धीरज कुमार को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मुंबई अंधेरी स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में धीरज कुमार बीती रात से ही वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे. यहीं उन्होंने आखिरी सांस ली. तबीयत बिगड़ने से पहले वो इस्कॉन मंदिर पहुंचे थे, जहां उन्होंने दर्शन किए. इसके बाद ही उनकी सेहत अचानक बिगड़ गई.

धीरज कुमार ने 1965 में मनोरंजन उद्योग में कदम रखा. वह सुभाष घई और राजेश खन्ना के साथ एक टैलेंट शो में फाइनलिस्ट थे, जिसमें राजेश खन्ना विजेता बने. धीरज ने 1970 से 1984 तक 21 पंजाबी फिल्मों में काम किया. उन्होंने क्रिएटिव आई नाम की प्रोडक्शन कंपनी शुरू की, जिसके वह अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं. फिल्म ‘स्वामी’ का गाना ‘का करूं सजनी, आए ना बालम’ उन पर फिल्माया गया था. उन्होंने ‘हीरा पन्ना’ और ‘रातों का राजा’ जैसी फिल्मों में भी अभिनय किया. हाल ही में, धीरज नवी मुंबई के खारघर में इस्कॉन मंदिर के उद्घाटन में शामिल हुए थे. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की सनातन धर्म के प्रसार में की गई कोशिशों की तारीफ की थी. उन्होंने कहा था कि इस्कॉन मंदिर में आकर उन्हें शांति मिली और वहां के लोगों का प्यार उन्हें बहुत छू गया.

दिग्गज एक्टर-प्रोड्यूसर धीरज कुमार के निधन से इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा है. उनके निधन के बाद अब कई कलाकारों की तरफ से संवेदनाएं व्यक्त की जा रही हैं. धीरज कुमार एक ऐसे दिग्गज कलाकार थे जिन्होंने अभिनय, निर्देशन और निर्माण के क्षेत्र में वर्षों तक काम किया है. उन्होंने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत अभिनेता के रूप में की थी और 1970 के दशक में ‘दीदार’, ‘रातों का राजा’, ‘बहारों फूल बरसाओ’, ‘शराफत छोड़ दी मैंने’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘सर्गम’, ‘क्रांति’, ‘मान भरों सजना’ जैसी अनेक लोकप्रिय फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं. उन्होंने लगभग 21 पंजाबी फिल्मों में भी अभिनय किया है जिनमें हाल की फिल्मों ‘सज्जन सिंह रंगरूट’, ‘इक संधू हुंदा सी’, ‘वॉर्निंग 2’ और ‘माझैल’ में उनके काम को काफी पसंद किया गया था.

निर्देशक के तौर पर भी धीरज कुमार ने बेहतरीन काम किया. ‘क्रिएटिव आई लिमिटेड’ नाम की कंपनी की स्थापना की और इसके अंतर्गत उन्होंने धार्मिक, सामाजिक तथा पारिवारिक विषयों पर आधारित 30 से ज्यादा धारावाहिकों का निर्माण किया. उन्होंने बच्चों के लिए बनी जादू-तिलिस्म पर आधारित फिल्म ‘आबरा का डाबरा’ और रहस्य-रोमांच से भरी फिल्म ‘काशी: इन सर्च ऑफ गंगा’ का निर्देशन किया. इसके अलावा ‘घर की लक्ष्मी बेटियां’, ‘ओम नमः शिवाय’, ‘श्री गणेश’, ‘अदालत’, ‘संस्कार’, ‘धूप-छांव’, ‘जोड़ियां कमाल की’ और ‘सिंहासन बत्तीसी’ जैसे फेमस धारावाहिकों का निर्देशन भी उन्होंने किया है, जो दूरदर्शन और दूसरे चैनलों पर लोकप्रिय रहे.
