
Bhajanlal government passed the public test
चार लाइन न्यूज़ डेस्क (तीर्थराज बरसलपुर) – पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने भजनलाल शर्मा उपचुनाव में भाजपा को जीत दिलवाने में अहम कड़ी रहे हैं. उनके नेतृत्व की सरकार के 11 महीने के कार्य को जनता ने पसंद करते हुए 7 में से 5 सीटों पर जीत दिलाई है. सरकार के कामकाज पर भरोसा जताते हुए उपचुनाव में भाजपा ने इतिहास रच दिया है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो भजनलाल सरकार इस टेस्ट में पास होकर जनता की उम्मीदों पर खरी उतरी है. वहीं उप चुनाव की 4 सीटों पर विधायक वाली कांग्रेस सिर्फ एक सीट दौसा जीत पाई है. जहां भाजपा की हार का कारण सामान्य वर्ग में एसटी जगमोहन मीणा को उम्मीदवार बनाने का गुस्सा माना जा रहा है. इसके अलावा चौरासी सीट जो पहले से ही भारतीय आदिवासी पार्टी के कब्जे में थी, वहां अनिल कटारा ने जीत हासिल कर बीएपी का वर्चस्व कायम रखा.
बता दें कि उपचुनाव में चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शुरू से ही अगुवा बनकर चल रहे थे. फिर चाहे उम्मीदवारों के चयन से लेकर चुनाव प्रचार की बागडोर को सही हाथों में रखने या फिर बागियों को मनाने में मुख्यमंत्री अहम में भूमिका रहे. जिसमें खींवसर, सलुम्बर, रामगढ़ और झूंझूनु चार सीटों पर बागियों को मनाना जीत में मुख्य समीकऱण रहा है. भजनलाल शर्मा का जमीनी स्तर पर हर कार्यकर्ता तक पहुंच रखने वाला माइक्रो मैनेजमेंट इस जीत में सबसे बड़ा फैक्टर साबित हुआ है. आम कार्यकर्ता से उनका संवाद करना और सरल व सीधा स्वभाव कड़ी से कड़ी मिलाता गया.
इसके अलावा उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के साथ मिलकर सातों सीटों पर काबिल और मजबूत प्रत्याशी तय किये गए. बूथ, मंडल और शक्ति केंद्र के कार्यकर्ता से सीधे संपर्क में रहे. मुख्यमंत्री खुद सातों विधानसभाओं में उम्मीदवारों के नामांकन के दौरान मौजूद रहे. भाजपा की रणनीति का केंद्र रहे सीएमओ में सभी सातों विधानसभा क्षेत्रों की स्ट्रेटजी बनती रही. जहां खुद भजनलाल शर्मा बूथ स्तर से फीडबैक लेते और पार्टी पदाधिकारी, विधायक, पूर्व नेता, सामाजिक नेताओं एवं मंत्रियों से हर स्तर की चर्चा करते थे. चुनाव प्रचार अभियान की कमान संभाले हुए मुख्यमंत्री ने सभी 7 सीटों पर 14 से अधिक चुनावी रैलियां की. जिसमें पिछली कांग्रेस सरकार की नाकामी और मौजूदा भाजपा सरकार के कामकाज को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया गया.